क्या आपने सोचा है कभी कि
प्रभु श्रीराम चार भाई ही क्यों थे तीन या पांच क्यों नहीं , लक्ष्मण जी श्रीराम के साथ वन क्यों गए , भरत जी क्यों नहीं, उन्होंने श्रीराम के खड़ाऊ से राजकाज कैसे संभाला और शत्रुघ्न भैया अयोध्या में ही क्यों थे
जब हम तथ्यों को गहराई से टटोलते है तो यह एक अद्भुत विवेचना की ओर ले जाता है
चार भाई चार पुरुषार्थ के प्रतीक है
राम - धर्म
लक्ष्मण - काम
भरत - मोक्ष
शत्रुघ्न - अर्थ
धर्म के साथ कामना या इच्छा सदैव साथ रहनी चाहिए इसलिए लक्ष्मण हमेशा साथ रहे प्रभु के साथ
भरत जी मोक्ष के प्रतीक है तो खड़ाऊ ( धर्म के प्रतीक) सहारे तपस्या करते रहे ।
शत्रुघ्न अर्थ के प्रतीक है तो वो राजधानी में ही रहेंगे , अर्थ कभी छोड़ के नहीं जाता
भले ही लक्ष्मण जी (काम ) को प्रभु (धर्म ) अधिक प्रिय हो, लेकिन धर्म को तो मोक्ष अधिक प्रिय थे ।
तुलसीदास जी ने भी कहा
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
थोड़ा और तथ्यों को टटोले तो राजा दशरथ की तीन रानियां ही क्यों थी
यह चार पुरुषार्थ एक श्रोत से नहीं आ सकते तो श्रीराम आये माता कौशल्या से (सतोगुण ) , श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न ( कामना /इच्छा और अर्थ ) ये आये माता सुमित्रा ( रजोगुण ) से
माता कैकेयी तमोगुण की प्रतीक है तो उनसे उत्पन्न हुए भरतजी , मोक्ष प्राप्त करने के लिए तमोगुण के पार जाना पड़ेगा।
राम सिया राम। सिया राम जय जय राम।


