Monday, January 22, 2024

Prabhu ShriRam - Stuti

 श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणं। 

नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ।। १ ।।

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुंदरम। 

पट्पीत मानहु तड़ित रूचि सूचि नौमि जनक सुतावरम ।। २ ।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम। 

रघुनंद आनदकंद कोशलचंद दशरथनंदनम ।। ३  ।।

सिरमुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं। 

आजानुभुज सर चाप धर संग्रामजीत खरदूषणं ।। ४ ।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम। 

मम ह्रदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनं ।। ५ ।।




मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो। 

करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो ।। ६  ।।

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हर्षित अली 

तुलसी भवानिहि पूजी पुनि - पुनि मुदित मन मंदिर चली ।। ७ ।।

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