छुट्टियां शुरू होने के एक दिन पहले
एक अजीब सी ख़ुशी थी हमारे मन में, शुक्रवार और अगले सप्ताह का सोमवार इस बार बैंक हॉलिडे था पर हम दोनों ने इसे एक लम्बा छुट्टियों का अंतराल बनाने के लिए दो दिन और (बुधवार 27/03 और गुरुवार 28/03) छुट्टी ले ली, तो कुल मिलकर ६ दिन।
श्लोक की छुट्टियां शुरू होने वाली थी। इंग्लैंड में ये समय बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन होता है। कुल मिलकर १५ दिनों की छुट्टियां ( २९ /०३ - १४ /०४ ) !!!!
इस तरह से मेरे और माधवी के लिए दो दिन एकदम अकेले और रोमांचित करने वाले लग रहे थे। शाम को जब लैपटॉप बंद किया तो मानो लग रहा था जैसे कोई जंग जीत ली हो।
दिन १ ( 27 /03 बुधवार )
सुबह सुबह तैयार होके हम दोनों ने घूमने का Plan बना लिया माधवी की तबियत थोड़ी अच्छी नहीं थी लेकिन फिर भी वो घूमने के लिए हमेशा तैयार रहती है और वो तैयार हो गयी। १४७ बस लिया और हमलोग ईस्ट हैम पहुँच गए। वहां घूमे फिर और कुछ काम भी कर लिया। दोपहर तक घर वापस आ गए और फिर बाबु को मैं स्कूल से घर लेकर आ गया।
दिन २ ( 28 /०३ गुरुवार )
बाबु के स्कूल जाने के बाद हम दोनों तैयार होकर स्ट्रैटफोर्ड मॉल पहुंचे , वहां खूब घूमे और शॉपिंग की ,बाबु के लिए LEGO लिया और वापस आने लगे। पता नहीं क्यों आते वक़्त थोड़ी कहासुनी हो गयी हम दोनों के बीच , मुझे कुछ अच्छा spicy खाने का मन था और बुची नहीं चाहती थी ज्यादा तेल मसालेदार । अब सोच के हंसी आती है लेकिन उस वक़्त मैं एक छोटे बच्चे की तरह रूठ गया था। Ilford पहुँच कर हम pandyas में गए और वहां जाकर लंच किया , गुस्सा अब ख़त्म हो चूका था और हम दोनों ख़ुशी ख़ुशी घर आ गए।
दिन ३ ( 29 /03 शुक्रवार )
आज का दिन बहुत ख़ास था। आज से बाबु की भी छुट्टियां शुरू हो गयी। आज हमलोग जोयलूकास गए और वहां से घूमते हुवे पहुंचे हैदराबादी हाउस। इंग्लैंड आने के बाद शुरुवाती दिनों में यहाँ मैं अक्सर आया करता था नितीश और तुषार के साथ ( Bachelor Days :) )
वहां का खाना माधवी और बाबु को बहुत पसंद आया। करीब ४ बजे हमलोग घूमते घामते वापस घर आ गए। माधवी अच्छा नहीं महसूस कर रही थी आते वक़्त , हमने सोचा शायद थक गयी होगी , इसलिए आते ही वो आराम करने सोने चली गयी।
दिन ४ ( 30 /03 शनिवार )
सुबह के चाय के बाद मैं और माधवी हॉल में बैठे थे। उसको काफी सारे Rashes हो गए थे पुरे शरीर पर। हमदोनो चिंतित हो गए , उसने तुरंत १११ को कॉल किया और ऑपरेटर के विचित्र प्रश्नो से मन व्यथित हो बैठा।
वो ठीक नहीं थी। मैंने आलू पराठा बनाया और हम सबने खाया।
थोड़े समय के बाद बुची को डॉक्टर का कॉल आता है, उन्होंने पूरा इंस्पेक्शन किया और उनके हिसाब से यह ChickenPox था, ये सुनते ही मन सिहर उठा। उसके Rashes अब बहुत बढ़ गए थे और परेशान करने लगे ।
शाम होते होते मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था। पास पड़े थर्मामीटर से मैंने Temperature चेक किया तो मैं हैरान हो गया 38.7 रीडिंग देखके। डॉक्टर ने कहा के मैं पेरासिटामोल शुरू कर दूँ और स्थिति ख़राब होने पर १११ पर उनको सूचित करूँ। मैं दवाई खाकर सो गया , कुछ देर बाद उठने पर मुझे अच्छा महसूस हो रहा था।
हेमंत भाई शाम को आये और बाबु के लिए एक duvet लेते आये , इससे हमे सोने में काफी आराम हो गया, अब हम तीनो तीन अलग बिस्तर पर थे।
दिन ५ ( 31 /०३ रविवार )
रात के करीब २:२५ बजे मेरी नींद खुलती है और मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी रजाई के भी अंदर , शायद इन्फेक्शन का असर तेज हो गया था , मैं हॉल में गया तो माधवी उठ गयी और पूछी क्या हुवा , मैंने उसे बताया और फिर मैंने पेरासिटामोल टेबलेट लिया और उसके बाद जाकर कमरे में सो गया , थोड़े देर के बाद मुझे अच्छी नींद आ गयी और मैं सो गया।
जब सुबह उठा तो सुबह के ९ बज रहे थे , आज UK में Clock change भी था और अब भारत से समय का अंतर साढ़े चार घंटे ही है , ५:३० घंटो की बजाय
आज माधवी को बहुत दिन बाद रोते देखा तो मन सिहर उठा , उसको वो Rashes बहुत परेशान कर रहे थे ,
थोड़ी देर में संतोष गरम गरम नास्ता लेकर घर आये , इडली सांभर और चटनी , गरमागरम खाना खाकर मन खुश हो गया
इस बीच माधवी को GP से फॉलो अप कॉल आया और डॉक्टर ने कुछ दवाईयां बूट्स फार्मेसी के पास भेज दी।
कुछ समय के बाद हेमंत खाना लेकर आये , बहुत अच्छा खाना भेजा था प्रेरणा भाभी ने , हमने ह्रदय से उन दोनों का धन्यवाद किया , शाम को कुछ वक़्त साथ TV देखने के बाद हम सोने चले गए।
दिन ६ (01 /04 सोमवार )
सुबह सुबह मेरे एक ऑफिस के साथी से बात हुई , उसे पिछले साल यह बीमारी हुई थी। उसने बताया नीम की पत्तियां आप Sakthi स्टोर Eastham से ले सकते है। मैंने उसे कहा शाम को देख के बताने लेकिन मुझसे रहा नहीं गया और मैं तुरंत तैयार हो गया। १४७ बस पकड़ी और पत्तियां लेकर मुझे ऐसी ख़ुशी हुई मानो संजीवनी बूटी हाथ लग गयी हो।
घर आकर माधवी को दिखाया और वो भी खुश हो गयी। अब मुझे भी हलके हलके rashes आने लगे। २-३ घंटे के बाद उनकी संख्या बढ़ने लगी। इस बीच रजनीश भाई खाना ले आये थे - आलू गोभी की सब्जी और रोटी। खाकर हम तीनो बहुत खुश हुए। शाम को मैंने अपना बिस्तर हॉल में बिछा लिया। अब बाबु के पास पूरे बैडरूम पे एकाधिपत्य :) उसे अपने खिलोनो के साम्राज्य को विस्तृत करने का अच्छा मौका मिला।
रात को अनुपमा देखने के बाद हम जल्दी सो गए , एक डर के साथ कि पता नहीं सुबह मेरा मुंह कैसा दिखेगा
दिन ७ (02 /04 मंगलवार )
आज बैंक हॉलिडे के बाद का पहला दिन , UK में सब अपने काम को लौट रहे है , सिवाय हम दोनों के जो इस समय जूझ रहे थे GP का अपॉइंटमेंट पाने को। ठीक आठ बजे हम DrIQ से कोशिश करने लगे लेकिन शायद उनका सर्वर थोड़ा अभी भी हॉलिडे के माहौल में था। खैर हमने GP के फ़ोन पे कॉल किया और कालबैक के लिए कहा। मुझे ११:५० का अपॉइंटमेंट मिला और माधवी को Telephonic Consulation । ११:४७ पर मैं थोड़ा सहमा हुआ GP पहुंचा। थोड़ी देर के इंतजार के बाद उन्होंने मुझे बुलाया और मेरी जांच की। धीरे धीरे मेरे अंदर का डर गायब हो गया। डॉक्टर काफी अच्छे से मुझे समझायी और उन्होंने मेरी दवाइयां बूट्स फार्मेसी पर भेज दी, जिसे मैंने आते वक़्त ले लिया।
थोड़ी देर बाद माधवी को भी उनकी डॉक्टर ने GP बुला लिया। वो भी एकदम Mask और काला चश्मा पहन के तैयार हो गयी और वहां से होकर आ गयी. सब कुछ ठीक रहा।
रात को बेचैनी बढ़ गयी , Rashes से जलन होने लगी। उस वक़्त नहाकर एक अद्भुत सुख की अनुभूति हो रही थी। पुरे शरीर की जलन को मानो अमृत मिल रहा था शीतल जल से। फिर मैं आकर सो गया।
दिन ८ (03 /04 बुधवार )
सुबह सुबह ही नींद खुल गयी आज। चेहरा अब Rashes से भरने लगा। माधवी को आज थोड़ा बेहतर लग रहा। बाबु टीवी देख रहा और मैं नहाके आ गया। पता नहीं क्यों अभी सबसे सुकून कही आ रहा है तो नहाने में।
दिन ९ (04 /04 गुरुवार )
एंटीवायरल खाने के बाद से बहुत सुधार दिखने लगा हम दोनों के स्वास्थ्य में। अंदर से भी अच्छा लगने लगा। वो जो एक जलन सी थी पुरे शरीर में अब वो नहीं था। हालांकि रशेस अपने चरम सीमा पे उभर के आने लगे। पुरे शरीर पे अब पॉक्स विस्तृत हो गया था।
दिन १० (05 /04 शुक्रवार )
आज माधवी और मैंने पूजा की और माता की विदाई की। शाम को बाबु के swimming classes में ले गया उसको , ऐसा लग रहा था मानो सब हमको ही देख रहे। लेकिन अब किसी तरह का भय नहीं
आज से एक चीज़ अच्छी हो गयी कि अब हम लोग बैडरूम में हम तीनो एक साथ सोने लगे।
Beautifully expressed
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeleteScary time but well written
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