Friday, October 18, 2024

A trip to Scotland

 Day 1:  सुबह के ५:५० बज गए और अलार्म की आवाज से  मेरी नींद खुल गयी।  घडी की ओर देख कर मैं तुरंत उठ गया । माधवी  पहले उठ चुकी थी और किचन में घमासान मचा हुवा था।  वो रास्ते के लिए कुछ बना रही थी।  बाबू अभी तक सोये हुवे थे उसकी लम्बी छुट्टियां जो शुरू हो गयी थी। माधवी रास्ते के लिए पर्याप्त भोजन सामग्रियां बना रही थी।  लेकिन काम इतना ज्यादा फैला हुवा था और तैयार होने के बीच पता नहीं चला और कब घडी में ६:४५ बज गए।  जल्दी जल्दी सब तैयार हुवे, बाबू को भी उठाकर तैयार किया . करीबन ७:०० बजे तक सब कुछ निपटाकर तीनो अपार्टमेंट से निकल गए।  अब सब कुछ एकदम Neck-to -neck  हो गया था ८:०० बजे वाली ट्रैन के लिए जो किंग्सक्रॉस से पकड़ना था।  इतना आसान भी नहीं था क्योंकि पहले उन्हें लिवरपूल स्ट्रीट पहुंचना था और वहां से किंग्सक्रॉस के लिए ट्रैन पकड़नी थी। जल्दी जल्दी करते करते वो ७:५१ तक किंग्स क्रॉस अंडरग्राउंड  पहुँच गए। लेकिन अब उन्हें उस नेशनल रेल के प्लेटफार्म तक पहुंचना था जहाँ से ८:०० बजे ट्रैन खुलने वाली थी।  स्टेशन पर दिशानिर्देशों को देखते हुवे वो ८:००:४० तक प्लेटफार्म पहुंच गए लेकिन तब तक वो ट्रैन खुल गयी थी। मैं पूरी तरह से अचंभित और स्तब्ध हो गया। माधवी  ने थोड़े देर में हिम्मत से काम लेते हुवे एक सहकर्मी को पूछा और उसने कहा की परेशान मत होईये , हर आधे घंटे में edinburgh की ट्रैन है और उनसे  टिकट ऑफिस जाने को कहा।  वहां पर जो महिला कर्मी थी , पहले तो वो बोली आप लेट क्यों हुवे , विस्तार से कारण पूछा ,माधवी और हम  सोच रहे थे कि पता नहीं क्या क्या पूछेगी। माधवी ने फिर से थोड़ी सूझबूझ दिखाते हुवे कहा की जिस ट्रैन से हम इलफोर्ड से आ रहे थे , उसमे कुछ delay था। वो महिला कर्मी फिर से computer पे सब details देखी।  और पूरी तरह से जांचने के बाद उसने अगली ट्रैन का टिकट बनाकर उन्हें दे दिया। मैं , माधवी  और बाबू खुश हो गए वो जाकर जल्दी से अगली ट्रैन में बैठ गए। कुछ देर पहले जो लग रहा था कि पूरा का पूरा trip बर्बाद हो गया , अब सब कुछ सही सा होता लग रहा। माधवी  खुश हो गयी और उसने इंस्टाग्राम में एक दो रील भी बना डाला, मतलब अब वो सच में खुश थी 

ट्रैन काफी सही से चल रही थी और मैंने कहा चलो अब बढ़िया है , कम से कम अब कोई delay नहीं होगा।  लेकिन भगवान की कुछ और योजना चल रही थी।  Edinburgh के एक स्टेशन पहले आकर ट्रैन रुक गयी थी, थोड़ी देर में पता चला कि कुछ tresspassing हो गयी थी और UK में यह एक बहुत बड़ी घटना हो जाती है।  ट्रैन को एक घंटे तक रोक दिया जाता है और जो कनेक्टिंग ट्रैन थी , वो छूट गयी।  किसी तरह से edinburgh स्टेशन पर मैंने  बात करके अगली ट्रैन का टिकट ले लिया। अब सब यही सोच रहे थे कि अब कोई और excitement न हो इस यात्रा में। 

शाम के करीब सात बजे वो लोग Invernees पहुंचे।  वहां पहुंचकर माधवी  इस फ़िराक में थी कि जल्दी से सामान रखकर थोड़ा घूम लेते है. उसको घूमना बहुत पसंद है वहीँ मुझे और बाबू को मन था की अब आराम कर ले 

Day-2: सुबह सुबह तैयार होकर तीनो  होटल के रिसेप्शन के पास पहुंचे।  वहां हल्का नास्ता किया , फल वगैरह खाये और फिर बस स्टॉप की और बढ़ चले जहाँ से हमे टूर बस पकड़नी थी।  हम समय से वहां पहुँच गए।  बस थोड़े विलम्ब से आयी और फिर हमलोग उसपे चढ़ गए , संयोग से एक ही पंक्ति की चार सीट मिल गयी।  एक पर बाबू और माधवी  बैठ गए , दुसरे तरफ मुझे सीट मिली , दो सीटों पर अकेले।  इस तरह से बस की यात्रा प्रारम्भ हुवी।  सबसे पहले बस पहुंची Eilean Donan Castle . वहां पर सबने जमके फोटोशूट किया।  बहुत खूबसूरत जगह थी ये और सबने हर जगह घूमा 


Day-3: आज तीनो जल्दी तैयार हो गए। आज  Highlands घूमने का प्लान था।  रिसेप्शन  गए और नास्ता करने के बाद वो बस पकड़ने चले गए।  बस थोड़ी छोटी थी इस बार ,दरअसल वो एक मिनी बस थी।  सबसे पहले वो urquhart castle पहुंचे।  काफी बढ़िया जगह थी।  एक ऐतिहासिक सी जगह जहाँ ढेर सारा इतिहास छिपा हुवा था।  काफी अच्छा समय बिताने के बाद वो Fort Augustus पहुँचते है जहाँ पर लंच करने का प्रोग्राम था। 

लंच के बाद ही बस ड्राइवर ने Cruise की बुकिंग कर दी थी। और माधवी, बाबू और मैं  तीनो क्रूज पे बैठ गए। पानी के एकदम बीच जाकर बहुत अच्छा लग रहा था और वहां खूब साड़ी फोटो निकाली 

शाम को आज मेरा  मन था कहीं अच्छे से बाहर खाने का।  लेकिन कुछ अच्छा ऑप्शन  मिल नहीं रहा था।  

तभी एक Indian रेस्टोरेंट दिखा और उन्होंने डिनर वहां किया 


Day-4: सुबह सुबह की ही ट्रेन  थी और इस बार तीनो बहुत सजग थे और समय से १० मिनट पहले ही आकर ट्रेन पे बैठ गए।  दोपहर के १२ बजे वो edinburgh पहुँच गए , वहां पर Hop-On-Hop-Off बस किया और घूमने लगे।  फोर्ट गए , एडिनबर्घ कैसल देखा और फिर वही पर एक जगह लंच भी किया 

शाम को लंदन के लिए वापसी की ट्रेन ६ बजे थी और करीब ११ बजे वो लंदन पहुँच गए 

Wo ek lambi chhutti

 छुट्टियां  शुरू होने के एक दिन पहले 

एक अजीब सी ख़ुशी थी हमारे मन में, शुक्रवार और अगले सप्ताह का सोमवार इस बार बैंक हॉलिडे था पर हम दोनों ने इसे एक लम्बा छुट्टियों का अंतराल बनाने के लिए दो दिन और (बुधवार 27/03 और गुरुवार 28/03) छुट्टी ले ली, तो कुल मिलकर ६ दिन। 

श्लोक की छुट्टियां शुरू होने वाली थी।  इंग्लैंड में ये समय बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन होता है।  कुल मिलकर १५ दिनों की छुट्टियां  ( २९ /०३  - १४ /०४  ) !!!!

इस तरह से मेरे और माधवी  के लिए  दो दिन एकदम अकेले और रोमांचित करने वाले लग रहे थे।  शाम को जब लैपटॉप बंद किया तो मानो लग रहा था जैसे कोई  जंग जीत ली हो। 

दिन १ ( 27 /03 बुधवार  )

सुबह सुबह तैयार होके हम दोनों  ने घूमने का Plan बना लिया माधवी  की तबियत थोड़ी अच्छी नहीं थी लेकिन फिर भी वो घूमने के लिए हमेशा तैयार रहती है और वो तैयार हो गयी।  १४७ बस लिया और हमलोग  ईस्ट हैम पहुँच गए।  वहां घूमे फिर और कुछ काम भी कर लिया। दोपहर तक घर वापस आ गए और फिर बाबु को मैं स्कूल से घर लेकर आ गया। 

दिन २ ( 28 /०३ गुरुवार )

बाबु के स्कूल जाने के बाद हम दोनों तैयार होकर स्ट्रैटफोर्ड मॉल पहुंचे , वहां खूब घूमे और शॉपिंग की ,बाबु  के लिए LEGO लिया और वापस आने लगे।  पता नहीं क्यों आते वक़्त थोड़ी कहासुनी हो गयी हम दोनों के बीच , मुझे कुछ अच्छा spicy खाने का मन था और बुची  नहीं चाहती थी ज्यादा तेल मसालेदार ।  अब सोच के हंसी आती है लेकिन उस वक़्त मैं एक छोटे बच्चे की तरह रूठ  गया था।  Ilford पहुँच कर हम pandyas में गए और वहां जाकर लंच किया , गुस्सा अब ख़त्म  हो चूका था और हम दोनों ख़ुशी ख़ुशी घर आ गए। 

दिन ३ ( 29 /03 शुक्रवार  )

आज का दिन बहुत ख़ास था।  आज से  बाबु की भी छुट्टियां शुरू हो गयी।  आज हमलोग जोयलूकास गए और वहां से घूमते हुवे पहुंचे हैदराबादी हाउस। इंग्लैंड आने के बाद  शुरुवाती दिनों में यहाँ मैं अक्सर आया करता था नितीश और तुषार के साथ ( Bachelor Days :) )  

वहां का खाना माधवी और बाबु को बहुत पसंद आया।  करीब ४ बजे हमलोग घूमते घामते वापस घर आ गए। माधवी  अच्छा नहीं महसूस कर रही थी आते वक़्त , हमने सोचा शायद थक गयी होगी , इसलिए आते ही  वो आराम करने सोने चली गयी। 

दिन ४ ( 30 /03 शनिवार  )

सुबह के चाय के बाद मैं और माधवी हॉल में बैठे थे।  उसको काफी सारे Rashes हो गए थे पुरे शरीर पर।  हमदोनो  चिंतित हो गए , उसने तुरंत १११ को कॉल किया और ऑपरेटर के विचित्र  प्रश्नो से मन व्यथित हो बैठा। 

वो ठीक नहीं थी।  मैंने आलू पराठा बनाया और हम सबने खाया। 

थोड़े समय के बाद बुची को डॉक्टर का कॉल आता है, उन्होंने पूरा इंस्पेक्शन किया और उनके हिसाब से यह ChickenPox था,  ये सुनते ही मन सिहर उठा।  उसके Rashes अब बहुत बढ़ गए थे और परेशान करने लगे । 

शाम होते होते मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था।  पास पड़े थर्मामीटर से मैंने Temperature चेक किया तो मैं हैरान हो गया 38.7 रीडिंग देखके।  डॉक्टर ने कहा के मैं पेरासिटामोल शुरू कर दूँ और स्थिति ख़राब होने पर १११ पर उनको सूचित करूँ। मैं दवाई खाकर सो गया , कुछ देर बाद उठने पर मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। 

हेमंत भाई शाम को आये और बाबु के लिए एक duvet लेते आये , इससे हमे सोने में काफी आराम हो गया, अब हम तीनो तीन अलग बिस्तर पर थे। 

दिन ५ ( 31 /०३ रविवार )

रात के करीब २:२५ बजे  मेरी नींद खुलती है और मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी रजाई के भी अंदर , शायद इन्फेक्शन का असर तेज हो गया था , मैं हॉल में गया तो माधवी  उठ गयी और पूछी क्या हुवा , मैंने उसे बताया और फिर मैंने पेरासिटामोल टेबलेट लिया और उसके बाद जाकर कमरे में सो गया , थोड़े देर के बाद मुझे अच्छी नींद आ गयी और मैं सो गया। 

जब सुबह उठा तो सुबह के ९ बज रहे थे , आज UK में Clock change भी था  और अब भारत से समय का अंतर साढ़े चार घंटे ही है  , ५:३० घंटो की बजाय 

आज माधवी  को बहुत दिन बाद रोते देखा तो मन सिहर उठा , उसको वो Rashes बहुत परेशान कर रहे थे , 

थोड़ी देर में संतोष गरम गरम नास्ता लेकर घर आये , इडली सांभर और चटनी , गरमागरम खाना खाकर मन खुश हो गया 

इस बीच माधवी  को GP  से फॉलो अप कॉल आया और डॉक्टर ने कुछ दवाईयां बूट्स फार्मेसी के पास भेज दी। 

कुछ समय के बाद हेमंत खाना लेकर आये , बहुत अच्छा खाना भेजा था प्रेरणा भाभी ने , हमने ह्रदय से उन दोनों का धन्यवाद किया , शाम को कुछ वक़्त साथ TV देखने के बाद हम सोने चले गए। 

दिन ६ (01 /04 सोमवार )

सुबह सुबह मेरे एक ऑफिस के साथी से बात हुई , उसे पिछले साल यह बीमारी हुई थी।  उसने बताया नीम की पत्तियां आप Sakthi स्टोर Eastham  से ले सकते है। मैंने उसे कहा शाम को देख के बताने लेकिन मुझसे रहा नहीं गया और मैं तुरंत तैयार हो गया। १४७ बस पकड़ी और पत्तियां लेकर मुझे ऐसी ख़ुशी हुई मानो संजीवनी बूटी हाथ लग गयी हो। 

घर आकर माधवी को दिखाया और वो भी खुश हो गयी।  अब मुझे भी हलके हलके rashes आने लगे।  २-३ घंटे के बाद उनकी संख्या बढ़ने लगी।  इस बीच रजनीश भाई खाना ले आये थे - आलू गोभी की सब्जी और रोटी।  खाकर हम तीनो बहुत खुश हुए।  शाम को मैंने अपना बिस्तर हॉल में बिछा लिया।  अब बाबु  के पास पूरे बैडरूम पे एकाधिपत्य :) उसे  अपने खिलोनो के साम्राज्य को विस्तृत  करने का अच्छा मौका मिला। 

रात को अनुपमा देखने के बाद हम जल्दी सो गए , एक डर के साथ कि पता नहीं सुबह मेरा मुंह कैसा दिखेगा 

दिन ७  (02 /04 मंगलवार  )

आज बैंक हॉलिडे के बाद का पहला दिन , UK में सब अपने काम को लौट रहे है , सिवाय हम दोनों के जो इस समय जूझ रहे थे GP का अपॉइंटमेंट पाने को।  ठीक आठ बजे हम DrIQ से कोशिश करने लगे लेकिन शायद उनका सर्वर थोड़ा अभी भी हॉलिडे के माहौल में था। खैर हमने GP के फ़ोन पे कॉल किया और कालबैक के लिए कहा।  मुझे ११:५० का अपॉइंटमेंट मिला और माधवी  को  Telephonic Consulation । ११:४७ पर  मैं थोड़ा सहमा हुआ GP  पहुंचा।  थोड़ी देर के इंतजार के बाद  उन्होंने मुझे बुलाया और मेरी जांच की।  धीरे धीरे मेरे अंदर का डर गायब हो गया।  डॉक्टर काफी अच्छे से मुझे समझायी और उन्होंने मेरी  दवाइयां बूट्स फार्मेसी पर भेज दी, जिसे मैंने आते वक़्त ले लिया। 

थोड़ी देर बाद माधवी  को भी उनकी डॉक्टर ने GP बुला लिया।  वो भी एकदम Mask और काला चश्मा पहन के तैयार हो गयी और वहां से होकर आ गयी. सब कुछ ठीक रहा। 

रात को बेचैनी बढ़ गयी , Rashes से जलन होने लगी।  उस वक़्त नहाकर एक अद्भुत सुख की अनुभूति हो रही थी। पुरे शरीर की जलन को मानो अमृत मिल रहा था शीतल जल से। फिर मैं आकर सो गया। 

दिन ८ (03 /04 बुधवार   )

सुबह सुबह ही नींद खुल गयी आज।  चेहरा अब Rashes से भरने लगा। माधवी  को आज थोड़ा बेहतर लग रहा। बाबु  टीवी देख रहा और मैं नहाके आ गया।  पता नहीं क्यों अभी सबसे सुकून कही आ रहा है तो नहाने में। 

दिन ९  (04  /04 गुरुवार    )

एंटीवायरल खाने के बाद से बहुत सुधार दिखने लगा हम दोनों के स्वास्थ्य में। अंदर से भी अच्छा लगने लगा।  वो जो एक जलन सी थी पुरे शरीर में अब वो नहीं था।  हालांकि रशेस अपने चरम सीमा पे उभर के आने लगे। पुरे शरीर पे अब पॉक्स विस्तृत हो गया था।  

दिन १०  (05 /04  शुक्रवार  )

आज माधवी और मैंने पूजा की और माता की विदाई की।  शाम को बाबु  के swimming classes में ले गया उसको , ऐसा लग रहा था मानो सब हमको ही देख रहे।  लेकिन अब किसी तरह का भय नहीं 

आज से एक चीज़ अच्छी हो गयी कि अब हम लोग बैडरूम में  हम तीनो एक साथ सोने लगे।