तसव्वुर मेरे साथी का रेत सी जलती इस धरा पे
मय में मक़सूद एक साजिश और तरसते हम
उस तमस में फसे है हम और उनकी रूह की वो कशिश
दिल के गलियारों में खनकती जुदाई की वो खलिश
खोजा करते थे जो मकाम इस आहट के एहसास से यूँ
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अब कुछ याद नहीं बस आप और
उस ख्वाब में डूब जाने को दिल करता है। .........